गुजरात उच्च न्यायालय ने 19 अगस्त और 26 अगस्त 2021 के अपने आदेशों के माध्यम से राज्य सरकार के धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम 2003 की धारा 5 के संचालन पर रोक लगा दी थी । अधिवक्ता शिवानी कुमार उपाध्याय द्वारा एक ही जनहित याचिका के जवाब में प्रस्तुत अपने हलफनामे में राज्य सरकार ने कहा कि उन उसने एक आवेदन दायर किया है इसमें हाई कोर्ट के स्टे को रद्द करने की मांग की गई है ताकि गुजरात में बल पर लोगन या धोखाधड़ी के माध्यम से धार्मिक रूपांतरण पर रोक लगाने के प्रावधानों को लागू किया जा सके। उन्होंने प्रस्तुत गया है कि धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार में अन्य लोगों को किसी विशेष धर्म में परिवर्तन करने का मौलिक अधिकार शामिल नहीं है।
धर्म की स्वतंत्रता में धर्मांतरण कराने का अधिकार शामिल नहीं
December 04, 2022
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गुजरात सरकार ने उच्च न्यायालय में कहा कि धर्म की स्वतंत्रता में दूसरों का धर्मांतरण कराने का अधिकार शामिल नहीं है सरकार ने शीर्ष अदालत में राज्य के कानून के प्रावधान ( विवाह के माध्यम से धर्मांतरण के लिए जिला अधिकारी की अनुमति) पर उच्च न्यायालय की रोक हटाने का अनुरोध किया।
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