मानसून के दौरान लीवर और आंतों का रखें खास ध्यान

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 सुरेंद्र मलनिया 

बड़ौत। सीके बिरला हॉस्पिटल गुरुग्राम में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के लीड कंसल्टेंट डॉक्टर अनुकल्प प्रकाश ने मानसून के दौरान लीवर और आंतों का ध्यान रखने की सलाह दी है*. दरअसल, मानसून आने से गर्मी से तो राहत मिलती है लेकिन इसमें स्वास्थ्य के लिए भी कुछ चुनौतियां आती हैं. बात जब लीवर और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम की हो तो ये बात और चिंताजनक हो जाती है. 

नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लीवर डिजीज (NAFLD) और गैस्ट्रो से जुड़ी अन्य बीमारियों इस समय काफी रहती हैं. ऐसे में जरूरी है कि लोगों को इस तरह की परेशानियों के बारे में समझाया जाए और उन्हें उपलब्ध इलाज की जानकारी दी जाए.

नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लीवर डिजीज (NAFLD) एक क्रोनिक लीवर डिजीज है जो लीवर पर फैट के कारण होती है और इसका शराब के सेवन से कोई संबंध नहीं है. पूरी दुनिया में एनएएफएलडी एक चिंता का विषय बन रहा है और इसकी बड़ी वजह खराब लाइफस्टाइल, गलत खाना-पीना और मेटाबोलिक सिंड्रोम है. हालांकि, मानसून के दौरान, एनएएफएलडी और अन्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारियों का कारण दूषित पानी, अनहाइजीनिक फूड, ज्यादा तेल वाला और फ्राई खाना.

हालिया आंकड़ों के मुताबिक, भारत में नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लीवर डिजीज (NAFLD) कुल आबादी के 9-32 फीसदी को है. खासकर, जो लोग मोटापे का शिकार हैं, डायबिटीज और डिस्लिपिडेमिया से पीड़ित हैं उन्हें लीवर की बीमारियां होने का खतरा ज्यादा रहता है. एनएएफएलडी बच्चों समेत किसी भी उम्र के बच्चों को हो सकता है. स्कूली छात्रों में तो आजकल ये समस्या बढ़ गई है क्योंकि उनकी लाइफस्टाइल बदली है, उनकी आउटडोर एक्टिविटी कम हो गई हैं. इसके अलावा बच्चों की खाने-पीने की आदतें भी खराब हो गई हैं. हालांकि, ज्यादातर मामलों में फैटी लीवर से कोई गंभीर समस्या नहीं होती और लीवर भी सुचारू रूप से काम करता रहता है लेकिन टाइम के साथ-साथ तीन में से एक मरीज के लिए हालात बिगड़ने का खतरा रहता है.

मानसून के दौरान अपने लीवर और आंतों को बचाने के लिए कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत है

संतुलित आहार- खाने और पीने का खास ध्यान रखें. अपनी डाइट को संतुलित बनाएं. फल और सब्जियां खाएं, साबुत अनाज और प्रोटीन लें. तले हुए और फ्राई आइटम से दूर रहें क्योंकि ये लीवर को नुकसान पहुंचाते हैं.

स्च्छता का ध्यान- मानसून के दौरान खुद को बीमारियों से बचाने के लिए स्वच्छता का भी विशेष ध्यान रखें. खाने से पहले हाथ अच्छे से धुलें, साफ और फिल्टर पानी पिएं, चौक-चौराहों की दुकानों या गंदी जगह वाले स्टॉल से कुछ न खाएं.

लगातार एक्सरसाइज करें- लगातार एक्सरसाइज और फिजिकल एक्टिविटी से वजन को मेंटेन रखने में मदद मिलती है और लीवर की हेल्थ भी सुधरती है. आपको जो भी फिजिकल एक्टिविटी करने में एन्जॉय मिलता हो उसे अपनी आदत बना लें.

वैक्सीन- हेपेटाइटिस-ए और टाइफाइड के लिए आवश्यक वैक्सीन लें, इससे पानी और खाने से होने वाले इंफेक्शन से बचाव में मदद मिलती है. इसका फायदा ये होता है कि लीवर और आंत से जुड़ी दिक्कतें कम होती हैं. 

अगर आपको लगातार पेट का दर्द है, पीलिया, मतली, उल्टी, या आंत्र की आदतों में बदलाव दिखाई देता है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाने की जरूरत है.

लीवर और आंत के स्वास्थ्य की देखभाल करना बहुत जरूरी है, खासकर मानसून के दौरान. एक स्वस्थ लाइफस्टाइल अपनाकर, स्वच्छता का ध्यान रखकर, और समय पर मेडिकल सहायता लेकर, नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लीवर रोग सहित गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है.

याद रखें, स्वस्थ लीवर और आंत अच्छे जीवन के लिए बहुत जरूरी है. आइए अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें और इस मानसून के मौसम को वेलनेस का टाइम बनाएं.

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