संयुक्त राष्ट्र में भारत बोला लोकतंत्र पर क्या करना है यह आप हमें सिखाएंगे

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यूएनएससी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालते हुए रुचिरा कांबोज ने की टिप्पणी

यूएन में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कांबोज ने कहा है कि भारत को यह बताने की जरूरत नहीं है कि लोकतंत्र पर उसे क्या करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के तौर पर सदियों पुरानी विरासत के साथ किसी को भी भारत को उपदेश देने की आवश्यकता नहीं है। एक इतालवी पत्रकार द्वारा देश में प्रेस की आजादी का क्षरण होने संबंधी सवाल पर कांबोज ने यह बात कही।
भारतीय प्रतिनिधि ने साफ कहा कि भारत में हर कोई अपनी इच्छानुसार बात कहने के लिए स्वतंत्र है। रुचिरा कंबोज ने कहा, भारत शायद दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यता है जैसा कि आप सभी जानते हैं। भारत में लोकतंत्र की जड़ें 2,500 साल पहले से हैं, हम हमेशा एक लोकतंत्र थे। हमारे पास लोकतंत्र के सभी स्तंभ अक्षुण्ण हैं, विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और चौथा स्तंभ एक प्रेस और सोशल मीडिया भी है। इसीलिए भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है

भारत ने दिसंबर माह के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली है। भारत इस दौरान आतंकवाद के सहित अन्य विषयों पर कार्यक्रमों की मेजबानी करेगा। संयुक्त राष्ट्र में भारत की पहली महिला स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कांबोज सुरक्षा परिषद की अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठेंगी। उन्होंने रक्षा परिषद की अध्यक्ष के तौर पर पहले दिन युक्त राष्ट्र मुख्यालय में मासिक कार्यक्रमों के संबंध में पत्रकारों को संबोधित किया। इसी दौरान सवाल पर उन्होंने कहा कि हमें लोकतंत्र पर अत्यधिक ज्ञान देने की जरूरत नहीं।




कंबोज बोली, भारत में हर पांच साल पर दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक कवायद होती है। हर कोई अपनी इच्छा के अनुसार बोलने के लिए स्वतंत्र है और हमारा देश इसी तरह काम करता है और करता रहेगा। देश तेजी से सुधार कर रहा है, परिवर्तन कर रहा है। आगे बढ़ने की गति बहुत प्रभावशाली रही है। मुझे यह कहने की जरुरत नहीं है और आपको केवल मेरी बात पर यकीन नहीं करना है। अन्य लोग भी यह बात कह रहे हैं।

जब यूएनएससी सुधारों और सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सीट के बारे में पूछा गया तो कांबोज ने कहा कि भारत एक ऐसे देश के रूप में विश्व के बड़े देशों में शुमार हो रहा है जो सबके लिए समाधान लाने को तैयार है। हमारी विदेश नीति का केंद्रीय सिद्धांत मानव-केंद्रित है और वही रहेगी।

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