औषधीय पौधे के मूल्य संवर्धन से आय होगी दोगुनी

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तीन दिवसीय प्रशिक्षण में 25 किसान को दी तकनीकी जानकारी, 50 एकड़ में कृषक उगाएंगे औषधीय पौधे।

औषधीय पौधे के मूल्य संवर्धन से आय होगी दोगुनी।

बागपत। नगर के ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान में आयुर्वेट रिसर्च फाउंडेशन द्वारा तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमे जनपद के 25 किसानों ने प्रतिभाग कर औषधीय पौधों की व्यवसायिक खेती पर जानकारी प्राप्त की। उद्घाटन डीडीएम नाबार्ड शोमीर पुरी, एलडीएम राजेश पंत ने किया और प्रोजेक्ट में नाबार्ड एवं आयुर्वेट की भूमिका स्पष्ट की और बताया कि आयुर्वेट रिसर्च फाउंडेशन तकनीकी जानकारी के माध्यम से किसानों को औषधीय पौधों की खेती में सहयोग करेगा।

प्रशिक्षण के प्रथम दिन डॉ राकेश कुमार रंजन ने कृषकों को तुलसी की व्यवसायिक खेती, पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट एवं मूल्य संवर्धन पर जानकारी दी। वहीं आयुर्वेट रिसर्च फाउंडेशन से कृष्ण गोपाल ने मृदा जांच एवं ऑर्गेनिक कार्बन के महत्व को समझाते हुए वर्मिकोस्ट का प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया। वहीं प्रशिक्षण के दूसरे दिन में अश्वगंधा की खेती, पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट और मूल्य संवर्धन पर बात की गई। अंतिम दिन में आयुर्वेदिक एवं यूनानी अस्पताल से डॉ मिलन मलिक ने मोरिंगा की खेती एवं मूल्य संवर्धन पर जानकारी दी। वहीं समापन समारोह में डीडीएम नाबार्ड शोमीर पुरी, एलडीएम राजेश पंत ने किसानों से वार्ता कर फीडबैक लिया एवं प्रशिक्षण का विधिवत समापन किया।

ब्रांडेड कंपनी खरीदेंगे कृषकों के औषधीय उत्पाद।

आयुर्वेट रिसर्च फाउंडेशन के अधिकारी कृष्ण गोपाल ने बताया कि किसानों द्वारा उत्पादित फसल को ब्रांडेड कंपनी को बेचा जाएगा जिसके लिए विभिन्न हर्बल कंपनियों ने रुचि भी दिखाई है। फसल लगने पर कंपनी द्वारा सर्वेक्षण कर फसल की खरीददारी संबंधी पूर्व कार्यवाही की जायेगी।

जल संरक्षण के साथ कृषकों की आय में बढ़ोतरी।

बागपत जनपद की भूजल स्थिति को देखते हुए औषधीय पौधों की खेती संबंधी यह प्रोजेक्ट महत्वपूर्ण परिणाम देगा क्योंकि औषधीय पौधों की खेती से जल संरक्षण होता है और साथ ही ब्रांडेड कंपनी द्वारा अच्छे दाम मिलते है। इस प्रकार गन्ने की खेती के लिए पहचान बनाने वाला बागपत जनपद जल्द ही औषधीय पौधों की खेती से अपनी पहचान बनाएगा।

मिलेगा निशुल्क बीज, पौध एवं तकनीकी जानकारी।

आयुर्वेट रिसर्च फाउंडेशन से कृष्ण गोपाल ने बताया कि इस शुरुआती प्रोजेक्ट में प्रतिभाग करने वाले कृषकों को निशुल्क बीज, पौध और तकनीकी जानकारी मुहैया कराई जाएगी एवं आवश्यकतानुसार कृषकों को समय समय पर गोष्ठी एवं प्रशिक्षण के माध्यम से उन्नत तकनीक और नवीन जानकारी से जोड़ा जाएगा।     पी.टी.आई.न्यूज़ ब्यूरो
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